Monday, 29 September 2025

विद्यारंभ

यहाँ घर में सरस्वती पूजा और विद्यारंभ (अक्षरारंभ) के नियमों।

पूजा की प्रक्रिया
पूजा वाले कमरे को साफ़ करके वहाँ एक चौकी/पीठ पर रेशमी कपड़ा बिछाएँ। उस पर सरस्वतीजी की तस्वीर रखें।

सफेद या रेशमी कपड़े पर विद्यार्थियों की किताबें, पेन आदि रखें और इन्हें सफेद वस्त्र से ढँक दें।

फूलों, माला आदि से सजाएँ। तीन दीपक जलाएँ — एक गुरु के लिए (बाएँ), एक गणपति के लिए (दाएँ), और एक देवी सरस्वती के लिए (बीच में या चित्र के पास)।

नैवेद्य में अवल (चिवड़ा), मुरमुरे, गुड़, फल, मिश्री, किशमिश, शहद, घी, आदि चढ़ाएँ।

गुरु, गणपति, सरस्वती, वेदव्यास और दक्षिणामूर्ति — इन पाँचों को नैवेद्य अर्पित करें।

मंत्र जाप करें:

गुरु: "गुम् गुरुभ्यो नमः"

गणपति: "गं गणपतये नमः"

सरस्वती: "सं सरस्वत्यै नमः"

अन्य देवी स्तोत्र एवं मन्त्रों का भी जाप करें।

नवमी और विजयदशमी पर विशेष विधि
महानवमी की सुबह, अपने औज़ार, उपकरण, किताबें पूजा के लिए समर्पित करें। इन्हें चंदन, कुमकुम और चावल के आटे से सजाएँ। पेन आयुध पूजा में न रखें, बल्कि किताबों की पूजा के साथ रखें।

वाहन (गाड़ी) की भी पूजा करें — पत्तियों, चंदन, कुमकुम, जल, फूल, अक्षत एवं तिलक लगाएँ।

विजयदशमी की सुबह पूजा के बाद किताबें और औज़ार उठाकर एक पाठ करें।

पुष्पार्चन (फूल अर्पण) और दीप-आरती करें। “ॐ हरिश्री गणपतये नमः अविघ्नमस्तु” (ओम हरिश्री गणपतये नमः अविघ्नमस्तु) लिखना शुरू करें। फिर अक्षरमाला (अक्षर) लिखकर या पढ़कर विद्यारंभ करें। चावल छूकर पूजा पूर्ण करें।

विद्यारंभ (अक्षरारंभ) के लिए आयु
तीन वर्ष की आयु सबसे उत्तम मानी जाती है। दो वर्ष छह महीने पूरे हो जाने के बाद की विजयदशमी भी उपयुक्त है। तीन साल पूरे नहीं होने चाहिए। अगर विजयदशमी इस उम्र में न मिल पाए, तो ज्योतिषी से शुभ मुहूर्त पूछकर करें।

पूजा में प्रयुक्त फूल
भद्रकाली को लाल, लक्ष्मी को पीले तथा सरस्वती को सफेद फूल चढ़ाना श्रेष्ठ होता है।

चेथी, गुड़हल, नंद्यावर्त, तुलसी, अरली, कमल का फूल भी चढ़ा सकते हैं।

मंदिर में पूजा
यदि मंदिर में पूजा करते हैं, तो नौ दिनों तक सुबह-शाम दर्शन और प्रार्थना अपेक्षित है। केवल किताबें रखकर लौटना पर्याप्त नहीं; शक्ति प्राप्त करने को श्रद्धापूर्वक पूरे मन से प्रार्थना करें।

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